हमारे देश में लगभग 300 मिलियन हेक्टेयर भूमि है, जिसमें से लगभग आधी भूमि बंजर है। हमें पानी मुख्य रूप से हिमालय से प्राप्त होता है। हिमालय से प्राप्त होने वाले जल में उच्च गाद (अवसादन) दर होती है और ढलानों की संरचना ने हमारे देश के मैदानी इलाकों में अस्तित्व के लिए एक बड़ी मुसीबत पैदा कर दी है। इससे बाढ़ की स्थिति पैदा होती है एवं जलाशयों और सिंचाई प्रणाली को क्षति पहुंचती है। ऐसे कई तरीके हैं जिनके द्वारा भूमि और जल का प्रबंधन किया जा सकता है। जलग्रहण क्षेत्र को अक्षुण्ण बनाए रखना अनिवार्य है। यह सबसे ऊपरी परत से शुरू होता है, जहां पेड़ों को संरक्षण के लिए लगाया जाता है एवं जिन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से व्यवहारिक होना चाहिए। कुछ ऐसी घास हैं जिनका उपयोग स्थानीय आवश्यकताओं, खाद्य संघटकों और पर्यावरण के अनुसार मिट्टी को बांधने के लिए किया जाता है। उपयुक्त निकास (आउटलेट) चैनलों का होना जरूरी है जिसके द्वारा सिंचाई के लिए पानी ले जाकर कुछ फसलों की बुवाई करके भूमि की उत्पादकता को बनाए रखा जा सकता है। नियमित अंतराल पर लवणता की जाँच की जानी चाहिए और जहाँ पर भूजल पर्याप्त मात्रा में नहीं है, वहाँ निक्षालन (लीचिंग) सहित इसका उपचार किया जाना चाहिए। भूजल के कई फायदे हैं क्योंकि यह किफायती है, इसे निकालना आसान है, वाष्पीकरण और वाहित मल से इसका नुकसान नहीं होता और यह उन क्षेत्रों में जल-स्तर (टेबल) को कम करता है जहां पानी का जल स्तर अधिक है। यह रेगिस्तानों में बड़ी मात्रा में मौजूद है। इसलिए, भूजल को अवश्य संरक्षित किया जाना चाहिए।
भूमि की मात्रा भूमि के खराब (विकृत) होने के कारण प्रभावित हुई है लेकिन आबादी बढ़ने के साथ-साथ बंजर भूमि भी अधिक होती जा रही है। यह अनिवार्य है और इसमें भूमि का लगभग आधा हिस्सा शामिल है। इसमें खेती लायक बंजर जमीन और गैर खेती वाली बंजर जमीन दोनों ही शामिल है। खेती योग्य बंजर भूमि में जल भराव, दलदली, लवणीय, वन, पट्टी, खनन और औद्योगिक भूमि शामिल हैं। गैर खेती योग्य बंजर भूमि में बंजर क्षेत्र, खड़ी ढलान, बर्फ से ढके पहाड़ और चट्टानी ग्लेशियर शामिल हैं। कृषि योग्य बंजर भूमि से कृषि के लिए अतिरिक्त भूमि मिलती है। बंजर भूमि का सुधार करना आवश्यक है और इसे तुरंत प्रारंभ किया जाना चाहिए।
हमारे वैज्ञानिक
क्रम स वैज्ञानिक का नाम पद प्रोफाईल विवरणी
1. डॉ. आशुतोष उपाध्याय (एसडब्ल्यूसीई), प्रभारी प्रभागाध्यक्ष प्रधान वैज्ञानिक
2. डॉ. (श्रीमती) शिवानी (सस्य विज्ञान), प्रधान वैज्ञानिक
3. डॉ. अनिल कुमार सिंह (सस्य विज्ञान), प्रधान वैज्ञानिक
4. डॉ. बिकास सरकार (एफएमपी), प्रधान वैज्ञानिक
5. डॉ. अजय कुमार (एसडब्ल्यूसीई), प्रधान वैज्ञानिक
6. डॉ. मनिभूषण
(कम्प्यूटर अनुप्रयोग), वैज्ञानिक (एसएस)
7. ई. पी.के. सुंदरम (फार्म मशीनरी एवं ऊर्जा) वैज्ञानिक
8. डॉ. कीर्ति सौरभ (मृदा विज्ञान), वैज्ञानिक
9. डॉं वेद प्रकाश (कृषि मौसम विज्ञान), वैज्ञानिक
10. ई. मृदुस्मिता देबनाथ (एलडब्ल्यूएमई), वैज्ञानिक
11. ई. पवनजीत (एलडब्ल्यूएमई), वैज्ञानिक
12. ई. अकरम अहमद (एलडब्ल्यूएमई), वैज्ञानिक
13 ई. आरती कुमारी (एलडब्ल्यूएमई), वैज्ञानिक
14. डॉ. सोनाका घोष (सस्य विज्ञान), वैज्ञानिक